ज़िन्दगी में अनोखे रंग भरे हैं .......ईश्वर ने । रंग मौसम के ....रंग भावों के ...... रंग संवेदनाओं के । इन्हीं रंगों को देखने , समझने , और अभिव्यक्त करने की कोशिश है ये ब्लॉग.... ...... ज़िन्दगी - ऐ- ज़िन्दगी.... ।
गुरुवार, 21 अक्टूबर 2010
रात की कहानी
रात के चेहरे पर
रोशनी की लकीर खींचते से
आ लगे किनारे तुम्हारे ख़याल
आकाश की जाजम पर
होने लगी चाँद की ताजपोशी
तारों की जयकार घुटने लगी
एक पुरानी नदी यादों की
उत्तर से दक्षिण
दूर तक पसरती चली गई
सूरज के रखवाले ने जब खोले द्वार
आँसुओं के निशान छिपाने लगे
फूलों पर बिखरे पद-चिह्न अपने
रात की कहानी
एक उम्र सी गुजरती है
हर रात
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
बहुत अच्छा पोस्ट !
जवाब देंहटाएंग्राम-चौपाल में पढ़ें...........
"अनाड़ी ब्लोगर का शतकीय पोस्ट" http://www.ashokbajaj.com/
सूरज के रखवाले ने जब खोले द्वार
जवाब देंहटाएंआँसुओं के निशान छिपाने लगे
क्या लिखते हो चैनसिंह जी.. रात कैसी गुज़री, किसी को नहीं मालूम.. खूब..
आदरणीयचैन सिंह शेखावत जी
जवाब देंहटाएंनमस्कार !
ला-जवाब" जबर्दस्त!!
कमाल की लेखनी है आपकी लेखनी को नमन बधाई
Bahut achhi rachna sajha ki aapne.... HAr shabd sadha hua hai... badhai...
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना!
जवाब देंहटाएं--
मंगलवार के साप्ताहिक काव्य मंच पर इसकी चर्चा लगा दी है!
http://charchamanch.blogspot.com/
अच्छी भाव पूर्ण रचना |
जवाब देंहटाएंआशा
sundar shabdo se sajaayaa hai aapne .........achchha likhte hai aap..........shubhakamnaye
जवाब देंहटाएंsundar rachna!
जवाब देंहटाएंकुछ तो है इस कविता में, जो मन को छू गयी।
जवाब देंहटाएंरात की कहानी
जवाब देंहटाएंएक उम्र सी गुजरती है
हर रात
यकीनन ..
सूरज के रखवाले ने जब खोले द्वार
जवाब देंहटाएंआँसुओं के निशान छिपाने लगे
फूलों पर बिखरे पद-चिह्न अपने
रात की कहानी
एक उम्र सी गुजरती है
हर रात
aur intzaar rahta hai ek subah ka