सोमवार, 11 अक्तूबर 2010

तुम्हारी खूबसूरती



बासनों की रगड़ी मिट्टी की सुगंध से
जो लोग बैठे हैं बहुत दूर
देर रात तक कानों में
उतरती पाजेबों की छनक छाए रहती है

तुम्हारी खूबसूरती कितना मायने रखती है
उनके लिए
जिनके तकिये के दोनों किनारे
हर सुबह
दो ओस की बूँदें टंगी मिलती है

5 टिप्‍पणियां:

  1. जिनके तकिये के दोनों किनारे
    हर सुबह
    दो ओस की बूँदें टंगी मिलती है

    क्या खूब चैन सिंह जी, बहुत ही सुन्दर रचना. मुझे भी कुछ याद आ गया.

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  2. यह रचना छोटी भले ही हो मगर
    मन पर अपना प्रभाव अवश्य छोड़ती है!
    --
    13 अक्टूबर के चर्चा मंच पर इसको चर्चा में ले रहा हूँ!
    http://charchamanch.blogspot.com/

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  3. वाह !कितनी अच्छी रचना लिखी है आपने..! बहुत ही पसंद आई

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