ज़िन्दगी में अनोखे रंग भरे हैं .......ईश्वर ने । रंग मौसम के ....रंग भावों के ...... रंग संवेदनाओं के । इन्हीं रंगों को देखने , समझने , और अभिव्यक्त करने की कोशिश है ये ब्लॉग.... ...... ज़िन्दगी - ऐ- ज़िन्दगी.... ।
रविवार, 17 अक्तूबर 2010
मन में इन्द्रधनुष
मैंने मन के तहखानों को खंगाला दीवारों पर एक इन्द्रधनुष संवारा अंधेरों को बुहार कर कुछ जगह निकाली
बाहर हंसती हवा का एक झौंका बगल में गुच्छा लिये फूलों का मुस्कुराता खड़ा था
कम शब्दों में बहुत सुन्दर कविता।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना । आभार
ढेर सारी शुभकामनायें.'
विजयादशमी की बधाई एवं शुभकामनाएं
Sanjay kumar
http://sanjaybhaskar.blogspot.com
बगल में गुच्छा लिये फूलों का
जवाब देंहटाएंमुस्कुराता खड़ा था
इन पंक्तियों ने दिल छू लिया... बहुत सुंदर .......रचना
'अंधेरों को बुहार कर कुछ जगह निकाली'
जवाब देंहटाएंयह कार्यकलाप मनुष्य को जीवन पर्यन्त अपने दिलो-दिमाग के लिए करना चाहिए.
छोटी भाती रचना.
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति!
जवाब देंहटाएंआज इसी गुलदस्ते की जरूरत है!
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आपकी पोस्ट की चर्चा 19 अक्टूवर को चर्चा मंच पर लगाईगई है!
http://charchamanch.blogspot.com/
सुंदर भाव , अच्छी रचना ।
जवाब देंहटाएंवाह ! चंद शब्दो मे ही गज़ब की भावाव्यक्ति।
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