रविवार, 13 फ़रवरी 2011

इस मौसम में


हवा
जब भी गुज़रती है
सरसों के खेत से होकर
दो चार पीले फूल टंग जाते हैं
उसकी कमीज़ के बटन में
और पीठ पर गूंजती दिखती है
एक भीनी भीनी सी थाप

इन रंगों और खुशबुओं की उम्र
कोई बहुत ज्यादा तो नहीं
मगर सूखे मौसमों के दौर में
आँखों में उतार लेंगे वो पीली सुगंध
छाती भर सांस
कुछ कदम और चलने का हौसला देगी

शनिवार, 5 फ़रवरी 2011

बसंत आने को है


फिर तुम्हारी गोरी पतली उँगलियों में
सरसों के फूल नज़र आने लगे
फिर उस बीजूके के इर्द-गिर्द
मंडराने लगीं तुम्हारी खुशबुएँ
कुए के आसार पर गूंजने लगीं जब
पंखुड़ी सी तुम्हारी मुस्कुराहटें

मुझे लगने लगा है
बसंत आने को है