स्वप्न निशाचर होते हैं
इनकी किश्तियाँ
अँधेरे की
आकाशगंगाओं पे तिरतीं हैं
कुछ अँधेरा चाहिये
स्वप्न संजोने के लिये
नरम होते हैं ये,मुलायम
इनकी नरमी
अँधेरे में अधिक
महसूस की जा सकती हैं.
तमाम आकाशगंगाएँ
रीत गयी हैं अँधेरे की
और किश्तियाँ
घात पर जंग खा रही हैं.
ये अँधेरा
एकाकीपन का है
जहाँ निशाचरों के
कारवाँ निकलते हैं.
amazing .... bahut hi achha laga
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