हँसते तारे गाता चाँद ।
देखा है मुस्काता चाँद ।
प्रेम संदेशा ले मेरा
तेरी गलियाँ जाता चाँद ।
कितना रोए ख़त पढ़कर
आकर मुझे बताता चाँद ।
उसके जैसा दिखता तू
सुन - सुन कर शरमाता चाँद ।
चटख चाँदनी चूम चला
बहका सा मदमाता चाँद ।
सूंघ हवाएँ धरती की
चिंता से घबराता चाँद ।
छोड़ अकेला जाओगे
इक दिन,मुझे पता था चाँद ।
akela rahta hun mana
जवाब देंहटाएंper aata hai ab bhi wo chaand
aur sunata hai un dino ko
yaadon mein jo rahta chaand
कितना रोए ख़त पढ़कर
जवाब देंहटाएंआकर मुझे बताता चाँद ।
Sundar rachna !
मानो बच्चो के लिए एक सुन्दर कविता लिख डाली हो.
जवाब देंहटाएंबहुत मन-भावन कविता.
कितना रोए ख़त पढ़कर
जवाब देंहटाएंआकर मुझे बताता चाँद ....
बहुत सुंदर.......!!
छोड़ अकेला जाओगे
इक दिन,मुझे पता था चाँद ...
कई बार कोई एक पंक्ति ही सौ पर भारी होती है .....
जैसे इन पंक्तियों ने सारा दर्द समेत लिया है ......!!
अतिसुन्दर अभिव्यक्ति कविता के माध्यम से।
जवाब देंहटाएंआदरणीय चैन सिंह शेखावत जी
जवाब देंहटाएंनमस्कार !
छंदबद्ध काव्य सृजन में आपका कार्य प्रगति पर है … लगे रहें ।
शुभकामनाएं !
शस्वरं पर आप आते भी हैं , आपका ही घर है …आते रहें ।
…स्नेह सहयोग हेतु आभार !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
शस्वरं
भाई शेखावत जी . आपने चाँद को अनेक आयाम देकर रचना को रोचक बना दिया ।
जवाब देंहटाएंप्रशंसनीय ।