तुम तक कैसे पहुँचे दर्द मेरा
तुम्हें दर्द देना नहीं
परिचित कराना है
इन स्वरों और सुरों से
ताकि बाद के दिनों में
दर्द तुम्हें अपना सा लगे
तुम अपनी मुस्कुराहटें मुझे भेज दो
मैं भी हँसता हूँ
खुश हूँ
मगर किसी और के हाथों से मरहम
बड़ा सुकून देता है
और ये जो सम्प्रेषण है
समय की क्रूरता से मुक्ति दिलाता है
सचमुच
सुन्दर भावाव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंसम्प्रेषण बना रहे। यही सबसे अधिक ज़रूरी है।
जवाब देंहटाएंमैं भी हँसता हूँ
जवाब देंहटाएंखुश हूँ
मगर किसी और के हाथों से मरहम
बड़ा सुकून देता है
....
खूब चैन सा
तुम अपनी मुस्कुराहटें मुझे भेज दो
जवाब देंहटाएंकिसी और के हाथों से मरहम
बड़ा सुकून देता है.... sach hai
सुख-दुःख, लेन-देन चलता रहे...यही तो जिंदगी है...सुंदर रचना !
जवाब देंहटाएंतुम्हें दर्द देना नहीं
जवाब देंहटाएंपरिचित कराना है
इन स्वरों और सुरों से
ताकि बाद के दिनों में
दर्द तुम्हें अपना सा लगे
बहुत मर्मस्पर्शी प्रस्तुति..बहुत सुन्दर ...
वाह !
जवाब देंहटाएंबहुत खूब !
अतिसुन्दर !
पूरे सबाब पर हो आजकल !
मानो तपते थार में रोहिडा़ जेठ की इस दुपहरी में अपने पुष्प खिलाए खडा़ हो !
बहुत-बहुत बधाई ! जीयो !
इन पंक्तियों के लिए---जय हो -
"और ये जो सम्प्रेषण है
समय की क्रूरता से मुक्ति दिलाता है
सचमुच "
=============================
www.kavikagad.blogspot.com
www.omkagad.blogspot.com
www.ompurohit.blogspot.com
==============================
यह पंक्तियां भी भाईं-
जवाब देंहटाएं============जय हो चैनसिंह भाई !===============
तुम्हें दर्द देना नहीं
परिचित कराना है
इन स्वरों और सुरों से
ताकि बाद के दिनों में
दर्द तुम्हें अपना सा लगे