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शब्द
शब्द
बहाने ढूंढता है
गढ़ता है
और मढ़ देता है
परत दर परत
भाषा का लेप
एक अतिरेक
और अतिरिक्त
अनावश्यकता को
जन्मता है
शब्द
संवेदना का पूरक नहीं
आभास है
मात्र
ज़िन्दगी में अनोखे रंग भरे हैं .......ईश्वर ने । रंग मौसम के ....रंग भावों के ...... रंग संवेदनाओं के । इन्हीं रंगों को देखने , समझने , और अभिव्यक्त करने की कोशिश है ये ब्लॉग.... ...... ज़िन्दगी - ऐ- ज़िन्दगी.... ।