बादल
अक्सर पूछते हैं
मुझसे तुम्हारा पता
और हवा बेहया - सी
उन्हें सब कुछ
बता देती है।
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मेहँदियाँ आईं
रचा डाले मेरे कोरे काग़ज़
कैसे - कैसे रंगीन , खुशबूदार
मेरा मन इतना मोरपंखी
पहले कभी न था ।
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हवाओं पर सवार होकर आईं
तुम्हारी साँसों ने
मेरे सारे पर्वत पिघला दिये
आँसुओं की नदी में
गुरूर की किश्तियाँ
डूबने लगीं.......एक - एक कर ।
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खुशबुओं ने कपड़े बदले
चाँद की अटारी जा बैठीं
मेरी छत से
तुम्हारी मुंडेर तक
रोशनी की एक
बन्दनवार बांध डाली
सूरज निकलने तक
नज़ारे बड़े हसीन दिखते थे ।
पूछते बादल,बेहया हवा,हवा पर सवार साँसों से पर्वत का पिघलना,गुरूर की कश्तियां,चाँद की अटारी..........बङे सुन्दर प्रतीक...सुन्दर बिम्म योजना.............बेहद उम्दा........लगे रहो गुरू........अच्छी रचना पढने को मिली..........श्रेष्ठ सृजन अनवरत रखे बन्धु.........शुभकामनाएं।।
जवाब देंहटाएंbaadal poochte hain, hawayen bata deti hain...pyaar chupana mumkin nahin
जवाब देंहटाएंवाह लिसाड़िया के राजकुमार चैन सिँह जी शेखावत सा,
जवाब देंहटाएंघणी खम्मा!
हुकुम कई दिन सूं गांवतरै माथै हो।बगत नीँ मिल्यो।आंवतां ई
आपरो गोथळियो संभाळ्यो।बो तो रीत्यो ई लखायो!घालद्यो टाळवां राजस्थानी क्लासिक गाणां अर राजस्थानी रा टाळवां लेख,कोथ,बातां अर फोटूआं।फेर आ सी मजा।
आपरी हिन्दी कवितावां सांतरी !
कदै'ई बैठ'र बात करस्यां-द्वक !
आ शब्द पुष्टि आळी फाचर चटकै ई अळगी करो!आ कांई खेबी है थारै अर पाठकां बिचाळै ?आप तो इयां आडा जड़'र बैठ्या हो जाणै बिरखा सूं डरतो सांडो बिल ढाब'र बैठ्यो हुवै!
जवाब देंहटाएंबादल
जवाब देंहटाएंअक्सर पूछते हैं
मुझसे तुम्हारा पता
और हवा बेहया - सी
उन्हें सब कुछ
बता देती है।
इन पंक्तियों ने दिल छू लिया... बहुत सुंदर ....रचना....
हर शब्द में गहराई, बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंबेहद खूबसूरत रचना है।
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