शनिवार, 29 जनवरी 2011

गर्भनाल


हिचकियों की गर्भनाल
बचपन के किसी कोने तक पहुँचती है
उम्र के तमाम पाखंड
भरभरा उठते हैं

ऐसी ही किन्हीं आतिशबाजियों में
एक आकाशवाणी सी
जीवन में धड़कनों की
धार सी उतर जाती है