
हम सबने
अपने अपने परमात्माओं को पुकारा
हमें रास्ता दिखाओ
हम भटके हुए हैं
पर दिशाओं ने
चुप्पी की चादर ओढ़ ली
कोई नहीं आया
इतने में सूरज के दरीचे खुले
रोशनी के रास्ते पिघले
और हम सब
अपने अपने
घरों को चल दिये
ज़िन्दगी में अनोखे रंग भरे हैं .......ईश्वर ने । रंग मौसम के ....रंग भावों के ...... रंग संवेदनाओं के । इन्हीं रंगों को देखने , समझने , और अभिव्यक्त करने की कोशिश है ये ब्लॉग.... ...... ज़िन्दगी - ऐ- ज़िन्दगी.... ।
फ़लक पे झूम रहीं साँवली घटाएँ हैं l
कि तेरे गेसुओं की बावली बलाएँ हैं l
तपती धरती रूठ गयी तो बरखा फिर
बरसी कि जैसे आकाश की अदाएँ हैं l
ऊपर से सब भीगा भीतर सूख चला
न जाने कौन से मौसम की हवाएँ हैं l
पिघल के रहती हैं ये आखिर घटाएँ
बिखरे दूर तक जब प्यास की सदाएँ हैं l
फूल पत्तियाँ देहरी आँगन चौबारे
चाँद से उतरी फरिश्तों की दुआएँ हैं l