
रात के चेहरे पर
रोशनी की लकीर खींचते से
आ लगे किनारे तुम्हारे ख़याल
आकाश की जाजम पर
होने लगी चाँद की ताजपोशी
तारों की जयकार घुटने लगी
एक पुरानी नदी यादों की
उत्तर से दक्षिण
दूर तक पसरती चली गई
सूरज के रखवाले ने जब खोले द्वार
आँसुओं के निशान छिपाने लगे
फूलों पर बिखरे पद-चिह्न अपने
रात की कहानी
एक उम्र सी गुजरती है
हर रात